संतानें अपनी उपलब्धियों पर गर्व करती हैं और अपने माता-पिता से पुरस्कार चाहती हैं,
लेकिन माता-पिता, अपनी संतानों को अपना जीवन समर्पित करने के बावजूद,
बदले में कुछ भी नहीं चाहते हैं बल्कि और अधिक देने की आशा करते हैं।
हमें अपने शारीरिक माता-पिता और आत्मिक माता-पिता के प्रेम और बलिदान को
पहचानना चाहिए और प्रेम देने का अभ्यास करना चाहिए।
क्रूस पर बलिदान एकमात्र बलिदान नहीं है जो स्वर्गीय पिता और स्वर्गीय माता ने किया था।
उनका अनुग्रह इतना महान और गहरा है कि इसे पुराने नियम के सभी पर्वों के दौरान
बलिदान किए गए पशुओं की मृत्यु के माध्यम से व्यक्त किया जा सकता है।
इस तरह के गहन बलिदान और प्रेम के साथ,
दूसरी बार आए मसीह आन सांग होंग और माता परमेश्वर अपनी खोई हुई
स्वर्गीय संतानों को खोजने के लिए इस पृथ्वी पर आए हैं।
मैं तुम से कहता हूँ कि इसी रीति से एक मन फिरानेवाले पापी के विषय में भी
स्वर्ग में इतना ही आनन्द होगा, जितना कि निन्यानबे ऐसे धर्मियों के विषय नहीं होता,
जिन्हें मन फिराने की आवश्यकता नहीं।
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