पुराने नियम के बलिदान में पापियों का पश्चाताप और परमेश्वर का प्रायश्चित्त हैं।
आदम और हव्वा के पाप करने के बाद, परमेश्वर ने कैन और हाबिल को
बलिदान की भेंट चढ़ाने की अनुमति दी जिनसे वे दोबारा जीवन के वृक्ष के
पास जा सकते थे। बलिदान मूसा के समय तक चलता रहा
और नए नियम में वे आराधना के रूप में बदल गए।
आराधना के बिना जो हम परमेश्वर को देते हैं,
हमें पापों की क्षमा नहीं दी जा सकती।
पुराने नियम की सारी आराधना में पापियों के बदले पशुओं का लहू बहाया गया था।
लेकिन, नए नियम में यीशु ने पापबलि के रूप में स्वयं का बलिदान किया।
इसलिए, हमें यीशु के बलिदान से स्थापित हुई सारी आराधना
आत्मा और सत्य में करनी चाहिए।
इस तथ्य का कि यीशु महायाजक बने, अर्थ है
कि हमें आराधना करना जारी रखना चाहिए।
चर्च ऑफ गॉड के सभी सदस्य सब्त और फसह जैसी सारी आराधना
मनाते हैं और वे पापों की क्षमा और स्वर्ग की आशा की ओर,
जिसे परमेश्वर ने हम से प्रतिज्ञा की है जा रहे हैं।
…और सिद्ध बनकर, अपने सब आज्ञा माननेवालों के लिये
सदा काल के उद्धार का कारण हो गया, और उसे परमेश्वर की ओर से
मलिकिसिदक की रीति पर महायाजक का पद मिला। इब्रानियों 5:9-10
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