पुराने नियम में शरणनगर की व्यवस्था के द्वारा, परमेश्वर ने उन लोगों की रक्षा की
जिन्होंने किसी को भूल से मार डाला और उन्हें केवल महायाजक की मृत्यु के द्वारा
अपने देश में लौटने की अनुमति दी। यह दिखाता है कि आत्मिक दुनिया में
क्या होता है और हम कैसे परमेश्वर का उद्धार प्राप्त कर सकते हैं।
सभी मनुष्य स्वर्ग में पाप करने के बाद, आत्मिक शरणनगर, पृथ्वी पर आए,
और वे नई वाचा के फसह के द्वारा, जिसमें पवित्र तेल से अभिषेक हुए
महायाजक का बहुमूल्य लहू शामिल है,
पापों की क्षमा प्राप्त करके ही स्वर्गीय देश में लौट सकते हैं।
“ये सब विश्वास ही की दशा में मरे... और मान लिया कि हम पृथ्वी पर
परदेशी और बाहरी हैं। जो ऐसी बातें कहते हैं, वे प्रगट करते हैं कि स्वदेश की खोज में हैं।
और जिस देश से वे निकल आए थे, यदि उस की सुधि करते तो उन्हें लौट जाने का
अवसर था। पर वे एक उत्तम अर्थात् स्वर्गीय देश के अभिलाषी हैं;
इसी लिये परमेश्वर उनका परमेश्वर कहलाने में उनसे नहीं लजाता,
क्योंकि उसने उनके लिये एक नगर तैयार किया है।”
इब्रानियों 11:13-16
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